Music By: अजय-अतुल
Lyrics By: इरशाद कामिल
Performed By: अभय जोधपुरकर
वो रंग भी, क्या रंग हैं
मिलता ना जो तेरे होठ के रंग से हुबहू
वो खुशबू, क्या खुशबू
ठहरे ना जो तेरी साँवरी ज़ुल्फ़ के रूबरू
तेरे आगे ये दुनिया है फ़ीकी सी
मेरे बिन तू ना होगी किसी की भी
अब ये ज़ाहिर सरेआम है, ऐलान है
जब तक जहां में सुबह शाम है
तब तक मेरे नाम तू
जब तक जहां में मेरा नाम है
तब तक मेरे नाम तू
जब तक जहां में सुबह शाम…
उलझन भी, हूँ तेरी
उलझन का हल भी हूँ मैं
थोड़ा सा, ज़िद्दी हूँ
थोड़ा पागल भी हूँ मैं
बरखा बिजली बादल झूठे
झूठी फूलों की सौगातें
सच्ची तू है, सच्चा मैं हूँ
सच्ची अपने दिल की बातें
दस्ख़त हाथों से हाथों पे कर दे तू
ना कर आँखों पे पलकों के परदे तू
क्या ये इतना बड़ा काम है, ऐलान है
जब तक जहां में सुबह शाम…
मेरे ही घेरे में घूमेगी हर पल तू ऐसे
सूरज के घेरे में रहती है धरती ये जैसे
पाएगी तू खुद को ना मुझसे जुदा
तू है मेरा आधा सा हिस्सा सदा
टुकड़े कर चाहे ख्वाबों के तू मेरे
टूटेंगे भी तो रहने हैं वो तेरे
तुझको भी तो ये इल्हाम है, ऐलान है