Music By: सलीम-सुलेमान
Lyrics By: पीयूष मिश्रा
Performed By: श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, सोनू निगम
लैला की साँस की डोर बंधा
वो दीवाना वो मजनू है
वो होश नहीं बेहोश बावरा
नहीं जानता वो क्यूँ है
बेहोश उसे रहने दो
कि होश में वो आयेगा
तो नींद में उसकी लैला का
वो ख़्वाब टूट जायेगा
वो ख़्वाब टूट जायेगा
वो ख़्वाब टूट जायेगा
कोई पत्थर से ना मारे
कोई पत्थर से ना मारे
मेरे दीवाने को, दीवाने को
कोई पत्थर से…
सो ही लेने दो
उसका दर्द यही है दवा यही है
सो ही लेने दो
उसका दीन यही है जहां यही है
सो ही लेने दो
कि वो जाग पड़ा तो डर जायेगा
फिर बिलख जायेगा की पहलू में लैला नहीं है
मौत भी घबरायेगी, हो
मौत भी घबरायेगी पास में आने को
कोई पत्थर से…
रखना संभाल के ये पत्थर
कल को वो दिन भी आयेगा
जब पत्थर होंगे ये मकान
इनकी भी होगी इक ज़ुबान
कि दास्तान-ए-लैला मजनू
शख्स-शख्स दोहरायेगा
पत्थर का ढेर ये आज
ये कल का राजमहल कहलायेगा
नहीं मिल पाएगा
नहीं मिल पाएगा फिर
वक़्त तुम्हें पछताने को
कोई पत्थर से…